शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

पहाड़ी इमली (Hill tamarind) के आयुर्वेदिक गुण एवं फायदे......

         पहाड़ी इमली (Hill tamarind)

पहाड़ी इमली का वीज सामन्य इमली के वीज से कम से कम 15-20 गुना अधिक वड़ा होता है। एक पहाड़ी इमली के वीज में लगभग 100 बादाम के बराबर ताकत होती है। और ये कई रोगों से लड़ने में मदद करता है।
                 

पहाड़ी इमली के फायदे..

खूनी वबासीर में ये पहाड़ी इमली का बीज़ लाभकारी है। कितनी भी पुरानी से पुरानी वबासीर में भी अधिक से अधिक लाभ मिलता है। 
इसमे पहाड़ी इमली के बीज़ की गिरी जलाकर राख बना ले तथा 5 ग्राम राख को 50-100 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करने से वबासीर जड़ से खत्म हो जाती है। रोज सुबह शाम सेवन करने से खूनी वबासीर जल्दी ठीक हो जाएगी। 
                     
बार - बार पेशाब का आना,  पेशाब में जलन होना ऐसे रोगियों के लिए पहाड़ी इमली के बीज़ की गिरी को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह और शाम को गाय के दुध से सेवन करे। 
पेशाब में जलन, पेशाब का जल्दी - जल्दी लगना, पेशाब पीली आना आदि रोगों में जल्दी राहत मिल जाती है। 
जो लोग heavy diet लेते है और अच्छे health building protein का प्रयोग करते हैं। उसके बाबजूद भी उनका शरीर उभर नहीं पाता है और शरीर में ताकत नहीं आती है उसके लिए आप पहाड़ी इमली का बीज़ लेकर उसे पानी में तीन दिन तक भिगोय रखें। 
                   
उसके बाद उसकी गिरी को सुखाकर उसका पाउडर बना ले तथा 10 ग्राम पाउडर को धागा मिश्री में मिला लें और सुबह शाम उसका सेवन करने से शरीर शक्तिशाली बनता है। 
इसकी गिरी का पाउडर बनाकर तथा उसमें गुड़ का मिश्रण करके 6-6 ग्राम की गोलियां बना ले और सुबह - शाम इसका सेवन करने से शरीर अधिक बलशाली बनता है। 
पहाड़ी इमली का उपयोग आयुर्वेद के में बहुत ही लाभदायक  रोगों का उपचार हेतु किया जाता है। 

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