बुधवार, 30 सितंबर 2020

तुलसी के औषधीय गुण एवं अनेक रोगों की औषधि (occimum tenuiflorum)

                 तुलसी (holy basel)

हिन्दू धर्म में तुलसी को भगवान का रूप माना जाता है तुलसी में अमृत के समान औषधीय गुण होते हैं। तुलसी मे इतने सारे गुण है ये तुलसी औषधि हमे अनेक रोगों में सही करने मे मदद करती है ये हमे रोगी से निरोगी बना देती है इसमे बहुत से आयुर्वेदिक गुण पाये जाते है तुलसी की बहुत सी प्रजाति होती है। 
1-राम तुलसी - इसके पत्ते एवं दण्डी भी हारी होती है। 
 2-श्याम तुलसी-इसके पत्ते एवं दण्डी हल्की काली एवं बैंगनी होती है। 
3-बन तुलसी - इसके पत्ते एवं दण्डी हारी होती है राम तुलसी एवं श्याम तुलसी इन दोनों का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग आयुर्वेद में किया जाता है। 
                           
श्याम तुलसी सबसे श्रेष्ठ तुलसी होती है श्याम तुलसी में सबसे ज्यादा औषधीय गुण होते हैं। तुलसी के nature को आयुर्वेद में उष्म (गर्म) कहा गया है तुलसी के औषधीय गुण,लघु भी है, उष्म भी है, रुक्ष भी है ये बात और कफ मे अधिक लाभकारी है अगर आप तुलसी खाएंगे तो आपके शरीर में विशेष परिवर्तन दिखाई देगा ये चार तरीके से देखने को मिलेंगे दीपन, पाचन,अनुलोमन,क्रमिग्न 
1-दीपन अगर आप तुलसी खाएंगे तो आपकी जठराग्नि अथवा भूख को बढ़ाने का काम करेगी। 
2-पाचन आप जो भोजन करते हैं उसे पचाने मे मदद करता है
3-अनुलोमन- अगर आपके शरीर में वायु बिगड़ी हुई है, या बहुत ज्यादा हिचकी आती है ज्यादा गैस बनती है उसमे राहत मिलती है। 
4-क्रमिग्न- आपके शरीर में जो भी, bacteria, virus, infection आदि को खत्म करती है। 

तुलसी के औषधीय लाभ - 

तुलसी हृदय (heart) में अच्छा फायदा पहुंचाती है ये हृदय को activet करने में मदद करती है। 
ये कफ वाद नाशक है ऐसे लोग जिनका collestroll बड़ा हुआ होता है जो बहुत मोटे होते हैं जिनका heart ठीक से काम नहीं करता है या बहुत ज्यादा तेल,घी ऐसी चीजें खाते हैं उन लोगों को heart की activity बढ़ाने के लिए वो तुलसी को प्रयोग में ला सकते है। 
ये रक्त शोधक और शोतहर है ये खून की सफाई करती है साथ ही साथ सूजन मे काम करती है heart की कमजोरी के कारण आपके शरीर में सूजन आ जाती है। वो चेहरे व हाथ पैर कहीं भी आ जाती है इसमे ये बहुत अच्छा कार्य करती है श्वास में अगर कोई दिक्कत हो तो उसमे ये औषधि बहुत ही लाभदायक है। 
                      
तुलसी मे antiseptics, Antivactirial, antroxidents, anti-inflammatory जैसे गुण होते हैं इन सारी properties की बजह से तुलसी हमारी skin के लिए बहुत ही सुंदर आयुर्वेदिक औषधि है। 
अगर आपके चेहरे पर मुँहासे हो तो आप 15-20 पत्ते तुलसी के पीसकर उसमे आधा चम्मच नींबु और थोड़ा सा शहद मिलाकर पेस्ट बना ले इस मिश्रण को आप आपने चेहरे पर लगाएं इससे मुँहासे से निजात मिलेगी। 
अगर आपके चेहरे पर दाग - धब्बे है तो तुलसी के साथ दही का उपयोग करे तुलसी के पत्ते को सुखाकर इसका पाउडर बना ले और 1 चम्मच पाउडर के साथ 1 चम्मच दही मिला ले और अपने चेहरे पर 20 मिनिट तक लगाएँ और फिर ताजे पानी से चेहरे को धो लें इससे आपका चेहरा बेदाग हो जाएगा
अगर आप अपने चेहरे को निखारने के लिए natural glow चाहते हो तो आपको चाहिए चंदन, तुलसी और कच्चा दुध चंदन में skin whitening, moisturizing इससे चेहरे पर glow आ जाता है वहीं कच्चे दुध मे lactic acid पाया जाता है ।
1 चम्मच तुलसी पाउडर, 1/2 चम्मच चंदन पाउडर, 2 चम्मच कच्चा दुध इसके मिश्रण को आप अपने चेहरे पर 20-25 मिनिट तक लगाये रखे उसके बाद ताजा पानी से मुहं को धो लें आपके चेहरे पर natural glow आ जाएगी ये प्राचीन औषधि तुलसी का उपयोग हमारे जीवन में बहुत ही लाभदायक है।

मंगलवार, 29 सितंबर 2020

प्राकृतिक औषधि अपामार्ग (चिरचिटा) के औषधीय गुण

       अपामार्ग या चिरचिटा (Roughcheff Tree) 

अपामार्ग या चिरचिटा के बहुत सारे नाम है जैसे लटजीरा, चिरौटा, छेरचीटा, चक्रमर्द आदि इसे अंग्रेजी में ( Roughcheff tree) कहते हैं।                                                     

ये औषधि सड़कों और मैदानी क्षेत्रों में स्वतः उग जाता है। बताया जाता है कि प्राचीन काल में जब ऋषि, मुनि तपस्या के लिए जाते थे तब वह अपामार्ग के बीजों की खीर बनाकर खा लेते थे जिससे उन्हें भूख नहीं लगती थी। 

ये औषधि सड़कों और मैदानी क्षेत्रों में स्वतः ही उग जाती है अपामार्ग या छेरचीटा के पौधे को आपने अपने आस-पास जरूर देखा होगा ये औषधि पूरे भारत में आसानी से मिल जाती है लेकिन आप में से ज्यादा से ज्यादा लोग इसे खर-पतवार समझते हैं। 

अपामार्ग के मुख्य फायदे -

1-अपामार्ग के पौधे और पत्तियाँ को कुचलकर इसका पेस्ट बनाये तथा बवासीर के मरीज पर लगाएँ आपको इससे वबासीर पर काफी ज्यादा राहत मिलेगी। 

2-चिरचिटा के बीजों को पानी में उबालकर काड़ा बनाकर पीते हैं लिवर की समस्या में निवारण होता है। 

3-चिरचिटा के बीजों को मिट्टी के बर्तन में बूझ ले बुझे हुए बीजों का चूर्ण बना ले इस चूर्ण को रोज आधा चम्मच सेवन करने से आपको भूख कम लगती है इससे मोटापा से राहत मिलेगी। 

4-अपामार्ग की दातुन करने से मसूड़े और दांत रोग में लाभ मिलता है उसी तरह पत्तों का काड़ा बनाकर कुल्ला करने पर दांतों का दर्द, मसूड़े से खून आना, मुह से दुर्गंध आना सभी प्रकार के oral health problem से छुटकारा मिलता है। 

5-मुर्गी के अंडे में elgomean जो अंडे मे अंदर चिपचिपा तरल पदार्थ निकालता है उसमे चिरचिटा के पत्तों को पीसकर उसमे मिलाकर खूब फेटने के बाद टूटी हड्डी पर उसका लेप लगाने से हड्डी जुड़ जाती है। 

6-चिरचिटा का उपयोग पिलीया रोग में बहुत ही लाभदायक है। 

                       

आयुर्वेद के जानकार इसे त्वचा रोग, बिच्छु के डंक, सर्प दंश, साँस की समस्या, वबासीर और अनेक प्रकार के रोगों का उपचार हेतु प्रयोग करते हैं। 

प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि इस औषधि का प्रयोग करते आये हैं अपामार्ग के पौधे की जड़ से लेकर बीज़, पत्तों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

सोमवार, 28 सितंबर 2020

गिलोय (tinospora)

                  गिलोय (tinospora

गिलोय एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गुणकारी हर्व है। इसका वानस्पतिक नाम tinospora cardipholiya है। ये हर्व बहुत ही आयुर्वेदिक औषधि बनाने के काम में आती है।

जैसे कि गिलोय घनवटी इस बूटी मे औषधीय गुण होते हैं। साथ ही जिस वृक्ष पर उगती है। उस वृक्ष के गुण भी इसमें आ जाते है ।

                   

गिलोय के औषधीय गुण -

गिलोय में बहुत से औषधीय गुण पाये जाते हैं। Antivactirial, Antiviral, खून साफ करना, बुखारा कम करना, Antioxydent, Antialrjics, पाचन मजबूत करने वाले गुण, भूख बढ़ाना, शुगर कम करना, Anti-inflammatory, cooling, Anti arthritis, humunity system, Anti tumor, बुखार कम करने वाले गुण, पेट सम्बंधी ठीक करने वाले गुण के अलावा बहुत से लाभदायक गुण पाए जाते है। 

गिलोय के प्रचलित नाम भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह से लिए जाते हैं। 

अमृता, गुडूची,गुलाचा, गुरुच, गारो, गुलूची। 

गिलोय अनगिनत रोगों में प्रभावकारी होती है। 

कुष्ठ रोग, अस्थमा, गाउट, मधुमेह, दस्त, खूनी वबासीर, सर्दी, जुकाम, एनीमिया, खून में गर्मी, डेंगू, स्वान फ्लू, वीटीलिगो, HIV, दुर्बलता, हाई ब्लड प्रेशर, बांझपन, कैंसर, नकसीर  फ़ूटना, UTI, उल्टी, TB, अनिद्रा, त्वचा और पेट संबंधी रोग, मोटापा, पथरी, शारीरिक दुर्बलता, ब्रैन ट्यूमर, माइग्रेन, मलेरिया, सिफलिस, गठिया आदि में गिलोय का प्रयोग किया जाता है। 

                     

गिलोय में Antipayretic गुण पाये जाते हैं इसीलिये इस हर्व को आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयोग किया जाता है। गिलोय आपके खून में platlates की संख्या बढ़ाती है। और डेंगू से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। गिलोय को शहद के साथ लेने पर मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है। गिलोय आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने मे मदद करती है। ये हर्व आपके शरीर को Deet oxyphy यानी साफ करता है। आपके गुर्दे, लीवर और शरीर से हानिकारक तत्वों को दूर करने में मदद करती है। इसके Antivactirial, Antiviral गुण आपको कई प्रकार के vactiral और viral infection से बचाती हैं। इसके Antiarthritics गुण गठिया को खत्म करने में मदद करते हैं।

गिलोय एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली औषधि है।

रविवार, 27 सितंबर 2020

नागदोन या नाग पौधा (snake plant)

               नागदोन (snake plant) 

  नागदोन पौधे की वर्तमान समय में 70 से भी ज्यादा प्रजाति पायी जाती है

इस पौधे का वैज्ञानिक नाम sansevieria trifasciata है इसे mother in low tounge के नाम से भी जाना जाता है 

आप इसे indoor पर भी रख सकते हो नाग पौधा को आप अपने bedroom मे भी रख सकते हो ये पौधा हवा को शुद्ध करता है और सबसे ज्यादा oxygen को देता है नाग पौधा formultihide, venzine, xylrine, tollrine or trycloroathiline को हटाकर हवा को शुद्ध करता है 

  

अगर आपको एलर्जी है और आपको ज्यादा से ज्यादा छीकें आती है तो आप इस पौधे को अपने पास रख सकते हो इससे आपको लाभ मिलेगा 

इसे घर में लगाने से घर में सर्प का प्रवेश नहीं होता है इस नाग पौधे का उपयोग अनेक रोगों के उपचार में किया है। 

शनिवार, 26 सितंबर 2020

दूर्वा घास के स्वास्थ्य एवं औषधीय लाभ

              दूर्वा घास (दूब घास)

               
दूर्वा घास या दूब घास (Bermuda grass) सबसे प्राचीन और पवित्र घास है।इसका प्रयोग हवन और पूजा में भी किया जाता है। 
                      
शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है। कि जब समुद्र मंथन के समय देवता गण अमृत कलश को लेकर जा रहे थे तब अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे छलक कर पृथ्वी पर दूर्वा घास पर पड़ गयी। इसीलिए दूर्वा घास अमर हो गई दूर्वा घास भगवान श्री गणेश को अर्पित की जाती है ये घास भगवान श्री गणेश को अत्यंत प्रिय है ।
      दूर्वा घास किसी औषधि से कम नही है, दूर्वा घास मे कैल्शियम,फाइबर, पोटैशियम और प्रोटीन काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है। 
आयुर्वेद मे अनेक औषधि बनाने में इसका उपयोग होता है।  
                      

दूर्वा घास के स्वास्थ्य लाभ--

1-सुबह खाली पेट 2 से 3 चम्मच दूर्वा घास का रस पीने से रक्त संचार स्तर तथा मधुमेह में काफी लाभदायक है। 
2- सर्दी खांसी को दूर करने में इसका बेहतर उपयोग है इसमे एंटीवायरल प्रॉपटीज होती है। 
इसका सेवन करने से बलगम दूर होता है,इसे पीसकर इसका रस निकालकर पिया जाता है 
3- दूर्वा घास को पीसकर थोड़ी सी हल्दी मिलाएँ, कील मुँहासे से निजात मिलती है। 
4- दूर्वा घास हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन लेबल को बढ़ाती है, जिन लोगों में खून की कमी है, उन लोगों को इसका उपयोग जरूर करना चाहिए। 
5- दाद, खाज, खुजली तथा सिरोसिस से संबंधित जितनी भी त्वचा रोग है। उन पर अगर दूर्वा का लेप लगाया जाए तो ये त्वचा रोग बिल्कुल ही मिट जाता है। 
6- मुँह में छाले हो तो दूर्वा का रस पीने से आराम मिलता है। 
7- दूर्वा घास हमारी पाचन शक्ति को मजबूत करने मे मदद करती है, रोज दही के साथ मिलाकर खाने से कब्ज, गैस, एसिडिटी, वबासीर जैसी समस्या दूर हो जाती है। 
8- दूर्वा घास के लगातर सेवन से शारीरिक थकान और कमजोरी दूर होती है, और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। 
दूर्वा घास ( दूब घास ) अनेक रोगों की एक औषधि है।

नीम के औषधीय गुण एवं फायदे - - - - - -

नीम के औषधीय गुण एवं फायदे - - -   नीम भारत वर्ष का बहुत ही चर्चित और औषधीय वृक्ष माना जाता है ये भारत वर्ष में कल्प - वृक्ष भी माना जाता है...