शनिवार, 21 नवंबर 2020

बूटी गुंजा के औषधीय लाभ एवं औषधीय उपचार

             बूटी गुंजा (Coral Bead)

गुंजा बूटी में चमत्कारिक औषधि गुण पाये जाते हैं। ये रंगों में तीन प्रकार की होती है। सफेद, काली और लाल रंगों में होती है।लाल गुंजा ज्यादातर जंगलों में झाड़ियों के ऊपर पायी जाती है।इसमें सफेद गुंजा बहुत ही दुर्लभ होती है।  ये बहुत ही मुश्किल से मिलती है।
तीनों प्रकार की गुंजा की पत्तियाँ एक ही समान की होती है। जो इमली की तरह होती है लाल और सफेद गुंजा का प्रयोग औषधीय प्रयोग में किया जाता है।
आयुर्वेदिक हर्ब, औषधीय गुण एवं फायदे
आयुर्वेदिक औषधि एवं फायदे 
लाल गुंजा को अधिकतर लक्ष्मी पूजन में किया जाता है। लाल गुंजा बुखार, मुँह के रोग, स्वास रोग, नेत्र रोग, घाव, कान के रोग, गंजापन, सिरदर्द, हृदय रोग, उदर रोग,शाटिका, चर्म रोग, जोड़ों के दर्द आदि रोगों में किया जाती है।
गुंजा के बीज़ अल्प मात्रा में जहरीले होते हैं। इसलिये उनको शुद्ध करके ही इस्तेमाल करना चाहिए। यदि आपको शुद्ध करना नहीं आता है तो आप किसी आयुर्वेदाचार्य की देख - रेख में ही इसका प्रयोग करें।
साधारण तौर एक लीटर गाय के दूध में 200 से 250 ग्राम तक गुंजा के वीज उबालें और तब तक उस दूध को उबालें जब तक वह दूध एक चौथाई रह जाए। तब आप उसे उतारकर बीजों से छिलका उतार लें। इसके बाद दूध को फेंक दें और बीजों को गर्म पानी में साफ कर लें।
आयुर्वेदिक औषधि एवं फायदे, आयुर्वेदिक हर्ब
आयुर्वेदिक औषधि एवं फायदे 

बूटी गुंजा के चमत्कारिक औषधीय गुण -

यदि आपके बाल अधिक झड़ रहे हो या आप बालों को अधिक लंबा करना चाहते हो। इसके लिए गुंजा का 50 ग्राम चूर्ण एवं भृंगराज का 50 ग्राम चूर्ण 10 ग्राम छोटी इलायची 20 ग्राम जटामासी 20 ग्राम कूठ इन सबको काले तिल के तेल में डालकर पका लें। जब सारी सामग्री जल जाए तो तेल को छानकर सुरक्षित रख लें। इस तेल को लगाने से वाल बहुत ही जल्दी बढ़ते हैं। वालों का झड़ना रुक जाता है।
इसके पत्तों को पीसकर दाद पर लगाने से दाद बहुत ही जल्दी ठीक हो जाता है।
गुंजा की पत्तियों को खाने से अल्सर जैसी समस्या दूर हो जाती है। ये गुंजा की पत्तियों से oral problem जैसे - मुँह में छाले, दुर्गंध आना ऐसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
जिन लोगों के आंतों में अल्सर व संक्रमण है। उनके लिए रत्ती की जड़ को उबालकर काड़ा बनाकर पीने से बहुत ही लाभ होता है। यदि आप डायविटीज के रोगी नहीं है तो लगभग 5 ग्राम रत्ती की जड़ 2-3 ग्राम मुनक्का 5 ग्राम सूखा हुआ देसी गुलाब और 2 ग्राम सौंफ मिलाकर मिट्टी के बर्तन में उबालकर काड़ा बनाकर पीये। इससे पेट साफ होगा भूख बढ़ेगी और पाचन क्रिया भी ठीक रहेगी। मुख की ताजगी के लिए इस गुंजा की पत्तियाँ बहुत ही लाभदायक है।

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