मंगलवार, 29 सितंबर 2020

प्राकृतिक औषधि अपामार्ग (चिरचिटा) के औषधीय गुण

       अपामार्ग या चिरचिटा (Roughcheff Tree) 

अपामार्ग या चिरचिटा के बहुत सारे नाम है जैसे लटजीरा, चिरौटा, छेरचीटा, चक्रमर्द आदि इसे अंग्रेजी में ( Roughcheff tree) कहते हैं।                                                     

ये औषधि सड़कों और मैदानी क्षेत्रों में स्वतः उग जाता है। बताया जाता है कि प्राचीन काल में जब ऋषि, मुनि तपस्या के लिए जाते थे तब वह अपामार्ग के बीजों की खीर बनाकर खा लेते थे जिससे उन्हें भूख नहीं लगती थी। 

ये औषधि सड़कों और मैदानी क्षेत्रों में स्वतः ही उग जाती है अपामार्ग या छेरचीटा के पौधे को आपने अपने आस-पास जरूर देखा होगा ये औषधि पूरे भारत में आसानी से मिल जाती है लेकिन आप में से ज्यादा से ज्यादा लोग इसे खर-पतवार समझते हैं। 

अपामार्ग के मुख्य फायदे -

1-अपामार्ग के पौधे और पत्तियाँ को कुचलकर इसका पेस्ट बनाये तथा बवासीर के मरीज पर लगाएँ आपको इससे वबासीर पर काफी ज्यादा राहत मिलेगी। 

2-चिरचिटा के बीजों को पानी में उबालकर काड़ा बनाकर पीते हैं लिवर की समस्या में निवारण होता है। 

3-चिरचिटा के बीजों को मिट्टी के बर्तन में बूझ ले बुझे हुए बीजों का चूर्ण बना ले इस चूर्ण को रोज आधा चम्मच सेवन करने से आपको भूख कम लगती है इससे मोटापा से राहत मिलेगी। 

4-अपामार्ग की दातुन करने से मसूड़े और दांत रोग में लाभ मिलता है उसी तरह पत्तों का काड़ा बनाकर कुल्ला करने पर दांतों का दर्द, मसूड़े से खून आना, मुह से दुर्गंध आना सभी प्रकार के oral health problem से छुटकारा मिलता है। 

5-मुर्गी के अंडे में elgomean जो अंडे मे अंदर चिपचिपा तरल पदार्थ निकालता है उसमे चिरचिटा के पत्तों को पीसकर उसमे मिलाकर खूब फेटने के बाद टूटी हड्डी पर उसका लेप लगाने से हड्डी जुड़ जाती है। 

6-चिरचिटा का उपयोग पिलीया रोग में बहुत ही लाभदायक है। 

                       

आयुर्वेद के जानकार इसे त्वचा रोग, बिच्छु के डंक, सर्प दंश, साँस की समस्या, वबासीर और अनेक प्रकार के रोगों का उपचार हेतु प्रयोग करते हैं। 

प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि इस औषधि का प्रयोग करते आये हैं अपामार्ग के पौधे की जड़ से लेकर बीज़, पत्तों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

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