अतिवला(Abutilon indicum)
अतिवला की प्रशंसा भारतीय आयुर्वेद ग्रंथों में की गई है इसके पत्ते अंडाकार, ह्रदय के आकार वाले होते हैं। और अग्र भाग पर नुकीले होते हैं। अतिवला की गिनती आयुर्वेद के सर्वश्रेष्ठ ताक़तवर औषधियों में इसकी गिनती होती है ये औषधि ताकत का खजाना होती है।
इसका वानस्पतिक नाम Abutilon indicum है इसकी चार प्रजातियां पायी जाती है-वला, अतिवला,राजवला और महावला ये चारो बलाएँ शक्ति का खजाना मानी जाती है।
दुबले पतले लोगों के लिए ये औषधि रामबाण होती है ये शरीर की कमजोरी को खत्म कर देती है।
इसका औषधीय प्रयोग निम्न प्रकार से करते है -
1-शरीर की कमजोरी दूर करने के लिए इसकी जड़ों को दूध में उबालकर सेवन करने से फायदा मिलता है इसके बीजों का भी सेवन दूध में मिलाकर किया जाता है।
2-अतिवला का ताजा रस घी तथा शहद के साथ एक वर्ष लगातर सेवन करने से शरीर अधिक बलशाली बनता है।
3-अतिवला के पत्तों का काड़ा बनाकर उसको ठंडा करके आँखों धोने से आँखों की सभी प्रकार की समस्या दूर होती है। 4-अतिवला का प्रयोग दाँतों के दर्द के लिए भी किया जाता है इसका काड़ा बनाकर गरारा करने से दांतों के रोगों से छुटकारा मिलता है।
5-पुरानी खांसी को ठीक करने में अतिवला बहुत ही लाभदायक है इसके पीले फ़ूलों का चूर्ण बना लें जिसकी मात्रा 1-2 ग्राम होनी चाहिए उस चूर्ण को देशी घी के साथ लेने से पुरानी से पुरानी खांसी खत्म हो जाती है खून बाली उल्टी में काफी लाभ मिलता है।
6-वबसीर में अतिवला का उपयोग रामबाण है इसके बीजों को कूटकर शाम को पानी में भिगो दे सुबह खाली पेट 10-20 मिलीग्राम पानी का सेवन करने से वबासीर रोग से निजात मिलती है।
7-आपको अगर मूत्र से सम्बंधित कोई रोग हो तो अतिवला की जड़ को पानी में उबालकर उसका सेवन करने से आपको बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा ।
8-आयुर्वेद में अतिवला का उपयोग ज्वर के निवारण में किया जाता है अतिवला के 10-20 मिलीग्राम काड़ा में 1 ग्राम सोठ का चूर्ण मिलाए और शाम को रख दे सुबह उस पानी को पी लें वार - बार बुखार आने से निजात मिल जाएगी।
आयुर्वेद में अतिवला का उपयोग गंभीर से गंभीर रोग के उपचार हेतु किया जाता है।